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[पंडित विजय शंकर मिश्रा 📞7415758157]
🚩 गणगौर पूजा 2025: तिथि, विधि, महत्व और परंपरा 🚩
गणगौर पूजा हिंदू धर्म का एक प्रमुख पर्व है, जिसे विशेष रूप से राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और गुजरात में बड़ी श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह पर्व माता पार्वती (गौरी) और भगवान शिव (ईसर) को समर्पित है। विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुखी दांपत्य जीवन के लिए इस व्रत को रखती हैं, जबकि अविवाहित लड़कियां अच्छे वर की प्राप्ति के लिए गणगौर व्रत करती हैं।
🔹 गणगौर पूजा का महत्व- 📜 **गणगौर शब्द** दो शब्दों से मिलकर बना है - "**गण**" (शिव) और "**गौर**" (गौरी)।
- 🕉️ मान्यता है कि इस दिन माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तप किया था, जिससे प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें अपना जीवनसाथी बनाया।
- 💍 विवाहित महिलाओं के लिए यह व्रत पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि का प्रतीक है।
- 👩❤️👨 कुंवारी कन्याएं अच्छे वर की प्राप्ति के लिए इस व्रत को करती हैं।
- 📆 **गणगौर व्रत तिथि:** 31 मार्च 2025 (सोमवार)
- 🕉️ **गणगौर पूजन मुहूर्त:** प्रातःकाल (सूर्योदय के बाद)
- 🌙 **त्रयोदशी तिथि प्रारंभ:** 30 मार्च 2025 को रात्रि 10:15 बजे
- 🌙 **त्रयोदशी तिथि समाप्त:** 31 मार्च 2025 को रात्रि 08:55 बजे
गणगौर पूजा की शुरुआत **होली के दूसरे दिन** से होती है और यह **16 दिन** तक चलती है। इस दौरान महिलाएं सुबह जल्दी उठकर श्रृंगार करती हैं और माता गौरी की पूजा करती हैं।
🛕 पूजा विधि:- 🚿 **प्रातः स्नान कर** स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- 🪔 **गणगौर माता की मिट्टी या लकड़ी की मूर्ति** स्थापित करें।
- 🌺 माता गौरी को **हल्दी, कुमकुम, चूड़ी, मेहंदी, बिंदी, साड़ी** आदि चढ़ाएं।
- 🐄 **गाय के गोबर से गणगौर माता की छोटी मूर्तियां** बनाई जाती हैं।
- 💦 **16 दिनों तक पानी से भरे कलश की पूजा** की जाती है।
- 🎶 गणगौर गीत गाए जाते हैं: "गौर गौर गोमती, ईसर पूजे पार्वती।"
- 🌊 **अंतिम दिन जलाशय या नदी में गणगौर की मूर्ति का विसर्जन** किया जाता है।
गणगौर पूजा मुख्य रूप से राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में मनाई जाती है।
🏙️ प्रमुख स्थानों पर गणगौर उत्सव:- 🎭 **जयपुर:** गणगौर माता की भव्य शोभायात्रा निकाली जाती है।
- ⛵ **उदयपुर:** गणगौर घाट पर विशेष आयोजन किया जाता है।
- 👩🎤 **जोधपुर, बीकानेर और जैसलमेर:** पारंपरिक रूप से महिलाएं सज-धज कर गणगौर पूजन करती हैं।
- 🎶 **राजस्थान के ग्रामीण क्षेत्रों:** गणगौर गीत गाए जाते हैं और लोकनृत्य किए जाते हैं।
- 🌸 **गौरी माता:** सौभाग्य, समृद्धि और वैवाहिक सुख की देवी।
- 🔱 **भगवान शिव (ईसर):** शक्ति और स्थिरता के प्रतीक।
- ✔️ **सौभाग्य और सुखी दांपत्य जीवन** की कामना के लिए।
- ✔️ **कुंवारी कन्याओं के लिए अच्छा वर पाने** का अवसर।
- ✔️ **राजस्थानी संस्कृति और परंपराओं** से जुड़ा पर्व।
- ✔️ **रंग-बिरंगी शोभायात्राएं** और लोकगीतों की प्रस्तुति।
- ✔️ सुबह स्नान कर **शुद्ध वस्त्र** धारण करें।
- ✔️ **गणगौर माता** की विधिपूर्वक पूजा करें।
- ✔️ **व्रत और उपवास** का पालन करें।
- ✔️ **सुहाग सामग्री** चढ़ाएं (चूड़ी, बिंदी, मेहंदी, साड़ी)।
- ✔️ **गणगौर के पारंपरिक गीत** गाएं।
- ❌ **नकारात्मक विचार** न रखें और किसी से विवाद न करें।
- ❌ **अशुद्धता** के साथ पूजा न करें।
- ❌ **मांसाहार और मदिरापान** का सेवन न करें।
- ❌ **क्रोध और अपशब्दों** से बचें।
गणगौर पूजा भारतीय संस्कृति और परंपराओं का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह पर्व महिलाओं की **आस्था, समर्पण और शक्ति** का प्रतीक है। यह न केवल धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी एक महान उत्सव माना जाता है।
🙏 **आप सभी को गणगौर पूजा 2025 की हार्दिक शुभकामनाएं!** 🎊 😊 🙏
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