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छठ पूजा शुभ मुहूर्त महत्व

छठ पूजा शुभ मुहूर्त महत्वछठ पूजा शुभ मुहूर्त


छठ पूजा सूर्य देव को समर्पित एक ऐतिहासिक पर्व है। इस पर्व की शुरुआत भाई दूज के तीसरे दिन से होती है, और यह कुल चार दिनों तक चलता है। चौथे, यानी अंतिम दिन व्रती उगते

सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का पारण करते हैं।

1. छठ पूजा का पहला दिन:

• नहाय खाय - 05 नवंबर 2024, मंगलवार को • सूर्योदय - 06:15 AM पर सूर्यास्त- 05:52 PM पर

महत्व

नहाय खाय के दिन व्रती महिलाएं पवित्र नदी में स्नान करती हैं और पूरे घर को साफ-सफाई करती हैं। यह पूरे चार दिवसीय व्रत का शुभारंभ होता है और मन और शरीर को पवित्र करने का प्रतीक है। इस दिन व्रती महिलाएं छठ पूजा का संकल्प लेती हैं और पूरे चार दिनों तक निर्जला व्रत रखने का संकल्प लेती हैं। नहाय खाय के दिन सात्विक भोजन किया जाता है, जिसमें दाल, चावल और हरी सब्जियां शामिल होती हैं। यह शरीर को स्वस्थ रखने और आध्यात्मिक ऊर्जा बढ़ाने में मदद करता है।

2. छठ पूजा का दूसरा दिन:

• लोहंडा और खरना - 06 नवंबर 2024, बुधवार को

• सूर्योदय - 06:15 AM पर

सूर्यास्त- 05:51 PM पर

महत्व

लोहंडा, खरना का ही एक और नाम है। यह छठ पूजा का दूसरा दिन है और इस दिन व्रती महिलाएं निर्जला व्रत रखना शुरू करती हैं। खरना के दिन से ही व्रती महिलाएं पानी तक नहीं पीती हैं। यह एक कठोर व्रत होता है जिसे धैर्य और समर्पण के साथ पूरा किया जाता है। इस दिन खीर, पुड़ी और गुड़ का प्रसाद बनाया जाता है। खरना, व्रती महिलाओं की आस्था और समर्पण का प्रतीक है। वे सूर्य देव और छठी माता की कृपा पाने के लिए यह कठिन व्रत रखती हैं।

3. छठ पूजा का तीसरा दिन:

• सन्ध्या अर्घ्य 07 नवंबर 2024, गुरुवार को • सूर्योदय - 06:15 AM पर

• सूर्यास्त - 05:51 PM पर

महत्व

सूर्य देव को जीवनदाता माना जाता है। संध्या अर्घ्य देने से सूर्य देव की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। सूर्य देव प्रकृति के प्रतीक हैं। संध्या अर्घ्य देकर प्रकृति का सम्मान किया जाता है और उसके प्रति आभार व्यक्त किया जाता है। संध्या अर्घ्य देना व्रती महिलाओं की आस्था और श्रद्धा का प्रतीक है। वे

सूर्य देव के प्रति अपनी भक्ति दिखाने के लिए यह अनुष्ठान करती हैं।

4. छठ पूजा का चौथा और अंतिम दिन

• उषा अर्घ्य, पारण- 08 नवंबर 2024, शुक्रवार को

सूर्योदय- 06:16 AM पर • सूर्योस्त- 05:51 PM पर

महत्व

सूर्योदय नए जीवन और उम्मीदों का प्रतीक है। उषा अर्घ्य देने से जीवन में नई ऊर्जा का संचार होता है। उषा अर्घ्य देना व्रती महिलाओं की आस्था और श्रद्धा का प्रतीक है। वे सूर्य देव के प्रति अपनी भक्ति दिखाने के लिए यह अनुष्ठान करती हैं। माना जाता है कि उषा अर्घ्य देने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं। उषा अर्घ्य देने के बाद व्रत का समापन होता है। व्रती महिलाएं सूर्य देव का आशीर्वाद लेकर घर लौटती हैं।

छठ पूजा का महत्व वैदिक काल से चला आ रहा है। इस पर्व में शुद्धता और पवित्रता का विशेष ध्यान रखना चाहिए। संपूर्ण विधि के साथ छठ पूजा करने से रोग-दोष दूर होते हैं, संपन्नता आती है और पति की उम्र लंबी होती है।

छठी मैया आपका सौभाग्य बनाएं रखें।

हम आपके व्रत की सफलता की कामना करते हैं। जय छठी मैया की!

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